आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है. शाम में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. घाटों पर लाइट की पूरी व्यवस्था की गई थी ताकि किसी को परेशानी ना हो. सुरक्षा के लिए भारी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है.
उससे पहले दूसरे दिन यानी गुरुवार को खरना पूजा की गई. खरना के दिन शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी को जलाकर कांसा-पीतल या मिट्टी के बर्तन में खरना का प्रसाद बनाया गया. जिसे खाने के साथ ही निर्जला उपवास शुरू हो गया. यूं तो छठ पूजा के पहले से ही छठ के गीत बजने लगते हैं और एक भक्तिमय माहौल सा बन जाता है. छठ पूजा में गीतों का भी काफी खास महत्व होता है.
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